कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है.
मगर धरती की बैचेनी, को बस बदल समझता है.
तू मुझसे दूर कैसी है मैं तुझसे दूर कैसा हूँ।
यह मेरा दिल समझता है न तेरा दिल समझता है.

महोबत एक ऐसा सोग की पावन सी कहानी है.
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है.
यह सब लोग कहते है की मेरे आंखो में आंसू है.
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है.

बहुत तुला बहोत बिखरा थपेड़े सह नही पाया.
हवाओं के इशारों पर, मगर में बह नही पाया.
अधूरा अनसुना ही रह गया यह प्यार का किस्सा.
अधूरा अन्सुना ही रह गया यह प्यार का किस्सा.
कभी तू सुन नही पार्यी कभी में कह नही पाया.

भ्रमर कोई कुम्दानी पर मचल बैठा तो हंगामा.
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा.
अभी तक लोग सुनते थे किस्सा महोबत का.
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा.

समुन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नही सकता.
यह आँसू प्यार का मोती, इसे में खो नही सकता.
मेरी चाहत को तू अपना बना लेना मगर सुनले.
मेरी चाहत को तू दुल्हन बना लेना मगर सुनले.
जो मेरा हो नही पाया वह तेरा हो नही सकता.

स्वयं से दूर हो तुम भी, स्वयम से दूर हैं हम भी.
बडे मशहूर हो तुम भी, बडे मशहूर हैं हम भी.
बडे मगरूर हो तुम भी, बडे मगरूर हैं हम भी.
आतः बडे मजबूर हो तुम भी.
बडे मजबूर है हम भी.