लड़कियाँ क्या चाहे?
तो भैया हम बात कर रहे थे, लड़कियों की चाहत की। वो लड़को को कैसे देखती है, कैसे अच्छे लड़के की पहचान करती है। वगैरहा वगैरहा। कहते है औरतों की नज़र बहुत कयामत की होती है, किसी को भी एक नज़र मे देखकर पहचान लेती है। बस एक नज़र ही काफी होती है, पास या फेल। लेकिन फिर भी , जब भी किसी डेट पर जाओ, या किसी लड़की से दोस्ती हो, तो निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना, जिन्दगी भर सुखी रहोगे, तो शुरु करें ना?
१. क्या आपने सही कपड़े पहने है?
welldressedबहुत ही जरुरी है भई, आपने मंहगे कपड़े पहने हो या ना पहने है, सलीके के कपड़े है कि नही। ऐसा तो नही बऊवा की तरह के गैट-अप मे हो आप। अगर आप डेट पर जा रहे है तो अपने परिधान का विशेष ध्यान रखें। आप नोट करे ना करें, कि आपने कैसे कपड़े पहन रखे है, लड़कियाँ एक एक चीज नोट करती है (अब टाइम ज्यादा होता है या शौंक कह नही सकते), एक और बात, मौसम के अनुसार और लेटेस्ट फैशन के अनुसार ही परिधानों का चयन करें। ऐसा ना हो, कि वो आप में शाहरुख खान को ढूंढे और आप देव आनन्द की तरह तैयार हों।
२. आत्मविश्वास का स्तर
आपका आत्मविश्वास का स्तर ऊँचा होना चाहिए, ऐसा ना हो कि आप लड़की से मिलने जा रहे है और शर्म से नीचे गड़ा जा रहा हो। और कान्फ़ीडेन्स लेवेल इतना भी ऊपर ना हो कि, आप उसके कन्धे और पेट के बीच मे ही देखते जा रहे हो। मतलब कान्फ़ीडेन्स लेवेल को कन्ट्रोल मे रखकर, सलीके से पेश आएं। डिप्प्रेशन का शिकार ना हो, और ना ही ओवर कान्फ़िडेन्स के पचड़े मे पड़ें। आखिर लड़की से मिलने जा रहे हो किसी इन्टरव्यू मे थोड़े ही जा रहे हो।
३. तुलनात्मक अध्ययन
लड़कियों की एक खराब आदत होती है, वो मौजूदा प्रेमी/दोस्त की तुलना पिछले वाले से जरुर करती है, बार बार, लगातार करती है। अब ये अनजाने मे होता है या जान बूझकर, या फिर आपको चिढाने के लिये, लेकिन होता जरुर है। उदाहरण के लिए ” ये वाला इस तरह से बोलता है, उस वाले की मुस्कराहट कितनी अच्छी थी! इस वाले का पहनावा अच्छा है, लेकिन मूंछे तो पिछले वाले की ज्यादा अच्छी थी।” अब पिछले वाले (प्रेमी/दोस्त) को पकड़कर कूटने से तो कुछ होने वाला है नही, इसलिए इसका मतलब ये हुआ कि आपको एक बार नही, बार बार लगातार इम्तिहान देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
४. आपकी पिछली गर्लफ्रेन्ड
अरे हाँ! ये टापिक उनके लिए बहुत मुफ़ीद रहता है। बहुत सही टाइमपास होता है उनका। साम, दाम दण्ड, भेद वो आपसे यह बात उगलवाने के लिए तैयार रहती है कि पिछली वाली गर्लफ़्रेन्ड मे क्या अच्छाई थी या क्या बुराई थी। खबरदार! आप किसी ट्रैप मे मत फंस जाना। दरअसल इनका मकसद तो आपके दिल मे छिपी मैल को बाहर निकालना होता है, ये देखना चाहती है कि आप अपनी पिछली रिश्ते/दोस्ती की बात सुनकर कैसा रिएक्ट करते है या कितनी कडुवाहट दिखाते है। जाहिर है, अक्सर लोग, पिछली गर्लफ्रेन्ड मे कमिया निकलने की कोशिश करते है। मेरी एडवाइस माने तो पिछली वाले के प्रति गुस्सा ना ही निकाले तो अच्छा है, क्योंकि पिछली वाली तो वैसे भी छोड़कर टहल गयी, अब ये वाली हाथ से क्यों जाने दें। समझ गए ना?
५. धैर्य की परीक्षा
लड़कियाँ यह चीज जरुर चैक करती है कि आपमे उनको सुनने की कितनी क्षमता है, मतलब कितना झेल सकते हो। दरअसल वो यह चैक कर रही होती है कि आगे अगर जिन्दगी भर साथ निभाना पड़े (वैसे इत्ता लम्बा वो सोचती कैसे होंगी?) तो बन्दा कितना सुन सकता है। और हाँ अक्सर वो कहेंगी, अपने बारे मे और बताओ, मतलब आपके बारे मे सब कुछ जानने की इच्छा रखेंगी। लेकिन एक लिमिट के बाद, उसके बाद वो खुद-ब-खुद शुरु हो जाती है। इसलिए ध्यान रखिए, जोश मे होश ना खो बैठना, आप शुरु तो एक्सप्रेस की तरह हो, लेकिन मुलाकात दर मुलाकात ही अपनी पर्ते खोलना। मूलमन्त्र: अच्छे श्रोता बनिए, प्रेमिका को विविध-भारती की तरह समझिए, (मतलब चुपचाप सुनते रहिए) तभी सुखी रहेंगे।
६. विनम्रता
आप दूसरों के साथ कैसे पेश आते है, छोटे, बड़े, बच्चे, बूढे के साथ सम्मानपूर्वक बात करते है कि नही। वो मुन्न्नाभाई मे आपने देखा ही होगा, कि लड़का अगर वेटर को सीटी मारकर बुलाए तो, कट लेना। बोले तो विनम्रता का साथ नही छोड़ने का भीड़ू! लेकिन विनम्रता का मतलब ऐसा नही कि कोई भी आने जाने वाला आपको टीप मारकर चलता बने और आप थैंक्यू करते रहे। मौके की नज़ाकत को समझते हुए विनम्रता या दूसरे तरीके से व्यवहार करें। समझ गए ना?
७. सिर्फ़ मेरी सुने
एक और अझेल चीज, लड़किया चाहती है कि आप सिर्फ़ उनकी सुनो। लड़कियाँ इसे आपसी समझदारी का नाम देती है। आपसी समझदारी बोले तो, लड़की लोग का एक प्रोबलम होता है, वो पूरा पूरा अटैन्शन मांगती है, वो कुछ भी बोले, आप पूरी तरह से कान लगाकर सुनो। जैसे आसाराम बापू का प्रवचन सुन रही हो। सुनो जरुर, भले ही कान मे रुई डालकर जाओ, लेकिन लड़की को लगना चाहिए कि आप उसको पूरी तरह से सुन रहे हो। वो भले टीवी सीरियल की बातें करे, या अपने आफिस के चपरासी जग्गू के घर का प्रोबलम। आपको कान लगाकर सुनना है, जहाँ जरुरत पड़े ह्म्म ह्म्म करते रहना है। एक और बात पर विशेष ध्यान देना, लड़किया अक्सर अपनी मन की बात, दूसरो के उदाहरण देकर समझाती है, जरा विशेष ध्यान रखना, कंही जग्गू की प्रोबलम मे आपके लिए कोई संदेश तो नही है?
८. कितनी तारीफ़ करता है
दुनिया मे कोई भी एक लड़की ढूंढ कर दिखा दो, जो अपनी तारीफ़ सुनकर खुश ना होती हो। आपकी रिलेशनशिप की मजबूती और जीवनकाल आपकी तारीफ़ करने की क्षमता पर भी बहुत कुछ निर्भर करती है। तारीफ़ भी अलग अलग तरीके के साथ। यहाँ पर कुछ बाते जरुर ध्यान रखना, भूले से भी उसकी सहेली की तारीफ़ मत कर देना, नही तो बेटा गए काम से। लवर्स स्पॉट की पिकनिक मे अगर वो बैगंन की जली हुई सब्जी बनाकर लायी, तो भी आपको खाते हुए, सब्जी की तारीफ़ करनी होगी, (ये शादी के पहले की बात कह रहा हूँ, शादी के बाद, तो आप मेरी नही मानोगे, अपनी मनमर्जी करोगे, मै जानता हूँ।)
९.गिड़गिड़ाइए नही!
आप अपनी गर्लफ्रेन्ड की कितनी कद्र करते है? कद्र करने मे आपके प्वाइन्ट बढते है, लेकिन ध्यान रखिए, आप अगर ज्यादा गर्जूपना दिखाएंगे तो माइनस मार्किंग होती है। लड़किया यह देखना चाहती है कि ये बन्दा कितना मोल्ड हो सकता है। इसलिए मोल्डिंग का पूरा पूरा एक्स्पेरीमेन्ट आपके ऊपर किया जाता है। लेकिन मेरी राय मानो तो चरणदास की कैटेगरी तक मत जाना। समझे ना।
१०. कितने वादे निभाता है
अव्वल तो आप वादे ही मत करो, कि ये ला दूंगा, वो ला दूंगा। लेकिन करो तो निभाओ भी। वादे निभाने मे ये चीज जरुर ध्यान रखना कि चाँद तारों की बात तो करो, लेकिन तोड़ने ताड़ने का काम सिर्फ़ फलों का ही करना। और कभी उसको यह मत दिखाना कि मेरी यहाँ, वहाँ, जहाँ, तहाँ पहुँच है, नही तो बेटा, फंस जाओगे। फिर भले ही उसके छोटे भाई के लिए ट्यूटर ढूंढना हो, या उसकी माता जी का हास्पिटल मे चैक-अप सारे काम तुम्हारे मत्थे ना पड़े तो कहना। इसलिए, हाँकने मे थोड़ी लगाम रखना। नही तो लोगो से पूछते फिरोगे, फलाना हास्पिटल मे पहचान है क्या?
११. केयरिंग।
ये एक और पंगे की चीज होती है, केयरिंग। यहाँ केयरिंग के मायने अलग अलग होते है। लड़का घुमाने-फिराने, महंगी गिफ़्ट देने, मौज-मस्ती कराने को केयरिंग मानता है, लड़की तारीखे याद रखने को। लड़कियाँ इतिहास मे बहुत तेज होती है, मतलब हर तारीख,महीना, दिन और समय तक याद रखती है, इसलिए उसका जन्मदिन, उसके कुत्ते का जन्मदिन, पहली मुलाकात की बरसी (दु:ख की बरसी ही तो होती है लल्लू), पहले फोन की एनीवर्सरी वगैरहा वगैरहा सब याद रखना। याद रखने के लिए भले गूगल कलैन्डर का सहारा लेना पड़े,लेना, लेकिन बबुआ, अगर तुम एक भी तारीख भूल गए, तो हजार बाते सुनने के लिए तैयार रहना,